चान्दहट गांव की आरती आर्य: गीता की दिव्य ज्ञान की एक जीवंत मिसाल

चान्दहट गांव की आरती आर्य: गीता की दिव्य ज्ञान की एक जीवंत मिसाल

Aarti Arya of Chandhat Village

Aarti Arya of Chandhat Village

पलवल में जिलास्तरीय गीता जयंती महोत्सव में कंठस्थ गीता का वाचन कर सभी को मंत्रमुग्ध कर दिया

आरती आर्य को कंठस्थ याद है संपूर्ण गीता

पलवल। दयाराम वशिष्ठ: Aarti Arya of Chandhat Village: जब प्रतिभा के साथ समर्पण जुड़ता है, तो नतीजे अद्भुत होते हैं। हरियाणा संस्कृत विद्यापीठ की एमए आचार्य द्वितिय वर्ष की 23 वर्षीय छात्रा आरती आर्य एक ऐसी युवा प्रतिभा हैं, जिन्होंने अपनी गहरी ज्ञान और समर्पण के माध्यम से गीता के श्लोकों को आत्मसात किया है। मंगलवार को पलवल में आयोजित जिलास्तरीय गीता जयंती महोत्सव में गीता के द्वितीय अध्याय कंठस्थ सुनाने पर उन्हें विशेष सम्मान दिया गया, जहाँ उन्होंने अपने ज्ञान का प्रदर्शन किया और सभी को मंत्रमुग्ध कर दिया। हरियाणा संस्कृम विद्यापीठ के प्राचार्य डा़ पशुपति नाथ मिश्र व शिक्षकों ने छात्रा आरती को अनंन्त शुभकामनाएं देते हुए उनके उज्जवल भविष्य की कामना की है।

इससे पहले पलवल जिले के गांव चान्दहट की बेटी आरती को गुरूकुल में 12 वीं की पढाई करते वक्त कंठस्थ संपूर्ण गीता का वाचन करने पर महाराष्ट्र में आयोजित गीता महोत्सव समारोह में सम्मानित किया जा चुका है।आरती ने बताया कि उसके दादा गिर्राज आर्य की प्रेरणा से उसकी गुरूकुल में छठवीं कक्षा की पढाई से ही गीता के प्रति रुचि रही । अपने माता-पिता से गीता की कहानियाँ सुनकर इस पुस्तक के प्रति अपने प्यार की शुरुआत की। समय के साथ, मैंने इसे पढ़ना और समझना शुरू किया, और अब मैं इसे पूरी तरह से याद कर चुकी हूँ।"

गीता जयंती के अवसर पर आरती के इस अद्वितीय ज्ञान को देखने के लिए कार्यक्रम में बड़ी संख्या में लोग उपस्थित थे। विद्यापीठ के सहायक प्रोफेसर डॉ़ राधाबंल्लभ शर्मा ने कहा, "आरती जैसी प्रतिभा हमारे समाज के लिए प्रेरणा स्रोत हैं। उनका ज्ञान केवल उनके व्यक्तिगत विकास को ही नहीं, बल्कि पूरे समाज को भी समृद्ध कर रहा है।"

गीता महोत्सव का उद्देश्य न केवल भारतीय संस्कृति के महत्वपूर्ण हिस्से को उजागर करना था, बल्कि युवाओं को प्राचीन ज्ञान के प्रति जागरूक करना भी था। इस महोत्सव में आरती ने विशेष रूप से गीता की गूढ़ता को उजागर किया।

आरती के समर्पण और कठिनाईयों के बावजूद सफलता की कहानियाँ सुनने को मिली हैं। आरती ने यह साबित किया है कि अगर इरादा मजबूत हो, तो कोई भी चीज़ हासिल की जा सकती है। वह गीता के श्लोकों के अर्थ को न सिर्फ समझती हैं, बल्कि उन्हें अपने जीवन में उतारने का प्रयास भी करती हैं।"

आरती ने साझा किया कि वह भविष्य में गीता के ज्ञान को और अधिक लोगों तक पहुँचाना चाहती हैं। "मेरी ख्वाहिश है कि मैं स्कूलों और कॉलेजों में जाकर गीता के महत्व के बारे में लोगों को बताऊँ। यह सिर्फ एक पुस्तक नहीं, बल्कि जीवन जीने का तरीका है," आरती ने अपनी भावनाएँ व्यक्त कीं। आरती का लक्ष्य है कि वह संस्कृत में पीएचडी करके अपने इलाके का नाम रोशन करना चाहती है।